निशा चड्ढा
जीवन
गर्म हवायें झेली तूने
वर्षा में भी भीगा ,
नीड़ बनाया तिनके चुन चुन
सब को गले लगाया .
पीछे रह कर तुने सब को
आगे आगे भेजा,
पहुँच शिखर पर पीछे मुड़कर
नहीं किसी ने देखा .
नेक कमाई की है तूने
काहे तू भरमाये,
लेने से बेहतर है बन्दे
कुछ दे कर ही जाये .
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