सुरता
आवत हे अवईया ह
जावत हे जवईया ह
बाचे हे कहईया ह
सुनत हे सुनईया ह
समय के चक्का ह चलत रहिथे
जवईया के संगी
सिरिफ सुरता ह रहिथे
बऊसला म छोल छोल के
ददा बनावय गिल्ली भौरा
लईका पन के सुरता आथे
मिल के खेलन भौरा बाटी
अडबड़ मजा आवय संगी
जब भौरा मारय भन्नाटी
आवत हे अवईया ह
जावत हे जवइया ह
बाचे हे कहईया ह
सुनत हे सुनईया ह
समय के चक्का ह चलत रहिथे
जवईया के संगी
सिरीफ सुरता ह रहिथे
बड़े बिहनिया ले गोबर कचरा म
हाथ गोड सनाये
नानकुन परछी म
बछरू गरवा बंधाये
कांख कांख के चूल्हा फुंकई
माटी के बरतन भड़वा
बोचकु टुरा के डबरा छिंचई
धरे ओहर बाम्बी डड़वा
आवत हे अवइया ह
जावत हे जवईया ह
बाचे हे कहईया ह
सुनत हे सुनईया ह
समय के चक्का ह चलत रहिथे
जवईया के संगी
सीरिफ सुरता ह रहिथे
एक फूल कभी, दो बार नहीं खिलता
ये जनम, बार बार नहीं मिलता
जिन्दगी में मिल जाते है हजारों लोग
मगर सुनहरा पल, बार बार नहीं मिलता है
नूतन लाल साहू
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
नूतन लाल साहू आवत हे अवईया ह
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