*चलते-चलते:0130*
आज बसंत पंचमी के पावन पर्व पर माँ सरस्वती की वंदना मेरे गृहनगर प्रतापगढ़ (उ. प्र.) के ग्रामीण क्षेत्रों में बोली जाने वाली *अवधी* भाषा में।
*⚜ बाँकी झाँकी मईया तोहरी ⚜*
*बाँकी झाँकी मईया तोहरी, हमका सोहात बा।*
*जऊने पल दिन मईया, वो ही पल रात बा।।*
*बींदिया बा दिनकर सोहै, मईया के ललाट पे।*
*तरवा व चन्द्र सोहै, आँख के विराट पे।।*
*मेघ सम केश सोहै, शीश पे सोहात बा।*
*बाँकी झाँकी मईया तोहरी, हमका सोहात बा।।*
*बाटै श्वेत सारी तन पा, कर मा बाटै वरदण्ड।*
*कण्ठ पै माँ हार सोहै, दूजे कर सोहै छंद।।*
*एक कर मा सोहै कमलिनी, चरण कमल पा राजत है।*
*हँस के सवारी मईया, कैसी सुंदर साजत है।।*
*दर्पण मा रूप तोहरा, आवत की शर्मात बा।*
*रूपवै मा दर्पण आज, अपुने देखात बा।।*
*रूप क बयान के, मईया कऊन बिसात बा।*
*बाँकी झाँकी मईया तोहरी, हमका सोहात बा।।*
*नाहीं बाटै चिंता हमका, खुश चहै नाराज रहा।*
*एतनी बाटै बिनती तोहसे, मईया सम तू साज रहा।।*
*भूलि गऊ पूत का तो, बढ़ि के कवन बात बा।*
*बाँकी झाँकी मईया तोहरी, हमका सोहात बा।।*
सर्वाधिकार सुरक्षित
*🌹ओम अग्रवाल (बबुआ), मुंबई*
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