परिवर्तन नूतन लाल साहू

परिवर्तन
भारतीय सभ्यता और संस्कृति में
एक दिन ऐसा परिवर्तन आयेगा
मै क्यों सोच नहीं पाया
पितृ भक्त, पुत्र ने
पिता के मरते ही
उनकी ही याद में
उनकी ही पूंजी से
छोटी सी मठ
खलियान में बन वाली
मन में इतनी उमंग थी
जैसे स्वर्ग लोक बनवा दी
भारतीय सभ्यता और संस्कृति में
एक दिन ऐसा परिवर्तन आयेगा
मै क्यों सोच न पाया
विरोधा भासी दृश्य देख
आश्चर्य हुआ,आत्मीय जनों को
शयन कक्ष में,भड़क दार कैलेंडर
टांग रखे हैं, घरवाली ने
मातृ पितृ भक्ति की जगह
आधुनिकता ने क्यों जन्म ली
भारतीय सभ्यता और संस्कृति में
एक दिन ऐसा परिवर्तन आयेगा
मै क्यों, सोच नहीं पाया
छोटे छोटे बच्चो को,अंग्रेजी शिक्षा
सरकार दे रही,प्राइमरी में
नई सदी में,शिशु
पृथ्वी पर,आयेगा तो
रोयेगा भी अंग्रेजी में
भारतीय सभ्यता और संस्कृति में
एक दिन,ऐसा परिवर्तन आयेगा
मै क्यों,सोच नहीं पाया
प्यार की राह,दिखा दुनिया को
रोके नफरत की आंधी
तुममें से ही,कोई गौतम होगा
तुममें से ही कोई,होगा गांधी
नूतन लाल साहू


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