प्रखर दीक्षित
फर्रुखाबाद
बाल कविता*
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*चिंटू और गौरैया*
चिन्टू लाल चिन्टू लाल
गौरैया के बाल गुपाल
नीड में चहकें दू को छौने
मैया के बिन छौने पौने।।
गौरैया दाना ले आती
चहके दाना उन्हें खिलाती
कभी कभी मेरे घर आती
आंगन से दाने ले जाती।।
अम्माँ उसको पास बुलाती
बिठा हाथ पर फिर सहलाती
उन्हें देख के खूब चहकती
उससे भीत मुडेर बहकती।।
पकड़े मिंटू चुनिया रानी
लाते दाना देते पानी
फुदके आंगन लगे सुहानी
हंसती काकी गुड़िया नानी।।
लेकर दाना फुर्र उड जाती
भोलीभाली सबको भाती
मस्त मगन पंचम सुर गाती
मेरा मन हर कर ले जाती।।
प्रखर दीक्षित
फर्रुखाबाद
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