प्रतिरूप कविता

नाम      नीना महाजन


शिक्षा - एम.ए., बी.एड.


पता      A-904
             गौर कास्केड
            राजनगर एक्सटेंशन
            गाजियाबाद
            उत्तर प्रदेश


ईमेल     neenamjn@gmail.com



मैं नीना महाजन एक ग्रहणी हूं मैंने अपनी संपूर्ण शिक्षा दिल्ली में पूर्ण की है और वर्तमान में परिवार सहित एनसीआर में रहती हूं ।
                कोशिश करती हूं कि लेखनी ऐसी हो जिससे सकारात्मक सोच को बढ़ावा मिले।
 दिमाग में उत्पन्न विचारों , कल्पनाओं को कागज पर उकेरना ही एक लेखक की कला है ।
      महत्वपूर्ण है...शब्दों और भावनाओं का जुड़ाव इस तरह हो कि एक नई कहानी , एक नई रचना बनती रहे।



              मेरी अनेक रचनाएं विभिन्न पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में प्रकाशित हो चुकी हैं ।
       तीन कहानियों का कुकू एफएम में प्रसारण हुआ है।
   और विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा 2४ सम्मान पत्र प्राप्त हो चुके हैं।


प्रतिरूप



देखती हूं तुम्हें 
खुले नभ में
       पंख पसारे... 
सोचती 
आती तुम कुछ पल 
        पास हमारे 


कुछ किस्से बांटती... 
         साथ तुम्हारे
दिल में छुपी दास्तां 
     सुनाती तुम्हें... सुनाती तुम्हें 
     व्याकुल स्वर में गीत अनेक 


क्यों... 
       डरती हो मुझसे
 क्यों... 
पास नहीं आती हो मेरे 
क्यों... 
आसमां में उड़ जाती हो 


क्यों… मैं
            ना तुम संग उड़ पाती हूं 
गिरती , बिखरती , फड़फड़ाती हूं.. 


तुम्हारे जैसा 
              अपने अंदर
 मैं भी इक घोंसला बनाती हूं ...
            फुदकती इधर-उधर 
हवा में नाचती तुम संग
           फिर ऊपर उड़ जाती हूं 


क्यों... 
तुमसे कुछ कह ना पाती 
      नि:शब्द मैं रह जाती


 अच्छा.. ... अच्छा तुम नहीं


    तुम्हारा प्रतिरूप ही ले आती 
  असली पिंजरा... 
मिट्टी की चिड़िया...
       बैठाती उसे 
जीवित होने का अहसास हूं पाती 


वो अनकहा गीत जो... ना 
    किसी को सुना पाती 
मेरा वह गीत
                तुम ही गाती…


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