प्रिया सिंह लखनऊ सरगोशी सरगर्मियां सब शान्त हो जायेंगे

सरगोशी सरगर्मियां सब शान्त हो जायेंगे 
देशभक्ति राष्ट्रहित सब शान्त हो जायेंगे 


ये सूरज भी यहाँ अब कल की तैयारी में है
जोश और जूनून हर शब्द शान्त हो जायेंगे   


तारीख अपने कैलेंडर को समय से पलट दे
इतिहास में बहे वो खून भी शान्त हो जायेंगे 


तुम पलटते रहना अखबार का पन्ना धीरे-धीरे 
एक दिन ये देश के हालात भी शान्त हो जायेंगे 


तुम्हें बक-बक पसन्द नहीं तो कोई बात नहीं 
एक दिन आयेगा मेरे कलम शान्त हो जायेंगे


चिल्लाना आखिर नहीं पड़ेगा मुझे भी कभी
चाहतें एकता की एक दिन शान्त हो जायेंगे 



Priya singh


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