प्रिया सिंह लखनऊ तेरी परछाइयों ने सनम मुझे

तेरी परछाइयों ने सनम मुझे रूलाया बहुत है
और मैंने जान-ए-मन तुझे बुलाया बहुत है


बहुत थोड़ी सी बाकी  रह गई हूँ मैं मुझमें  
जरा सुनो सनम तुमने मुझे बुताया बहुत है


हर आहट मुझे तुझ तक खिंच ले जाती है
तेरी यादों को भी मैंने आज भुलाया बहुत है


कैसा तन्हाई में शोर करता है मेरा धड़कन
ये किस्सा हर बार तुमको सुनाया बहुत है


बहुत तकलीफों से हो कर गुजरता है दिल 
मैंने अश्क कई बार तुमसे छुपाया बहुत है


 


Priya singh


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