राहुल मौर्य 'संगम'
गोला लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश
"ऋतुराज बसंत
विधा- दोहा
नव किसलय की आंधियाँ, छायी आज अनंत ।
झूम उठा मन आँगना , आयी आज बसंत ।।
मन मयूर थिरके यहाँ , स्वागत में ऋतुराज ।
गाए कोयल बाबरी , मतवाली सरताज ।।
देव , मनुज औ राक्षसी , सब गाते गुणगान ।
देख रूप तब सृष्टि का , सुख पाती संतान ।।
रंगो भरी बयार में , रँगी सृष्टि अरु फूल ।
रंग संग के साथ ही , मिटे कष्ट अरु शूल ।।
नव वधु सी धरती सजी , बने बराती बाग ।
कोयल शहनाई बजी , ना बोले कुछ काग ।।
कुहू - कुहू के शोर से , मनवा हुआ अधीर ।
निशा गमन के भोर से,कसक उठी अब पीर ।।
अगन लगाकर प्रेम की , करो सदा उद्धार ।
जग में छाये एकता , दुष्टों का संहार ।।
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#स्वरचित /मौलिक
✍🏻राहुल मौर्य 'संगम'
गोला लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश
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