रूपेश कुमार©
चैनपुर सिवान बिहार
कैसे कटेगे अब पहाड़ से ये दिन ~~
कैसे कटेगे अब पहाड़ से ये दिन ,
जीवन की टुक ,
मन की भूख ,
तन की भूख ,
कहाँ गयी कोयल की कूक !
दिन हूए पल छीन ,
उपहार से ये दिन ,
कैसे कटेगे अब पहाड़ से ये दिन !
चरण अविराम के ,
रुक गए कैसे राम के !
सीता सरिखा मन , गये क्योदिन ,
बहार से ये दिन ,
कैसे कटेगे अब पहाड़ से ये दिन !
जेठ की तपन ,
मन की अगन ,
तन की जलन ,
लूट गया अगन छुआ गगन !
चली वह पश्चिमी नागिन ,
उजाड़ से ये दिन ,
कैसे कटेगे अब पहाड़ से ये दिन !
✍🏻✍🏻✍🏻 रूपेश कुमार©
चैनपुर सिवान बिहार
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