महाकवि निराला जी की वन्दना द्वारा कैलाश दुवे होशंगाबाद वर दे, वीणावादिनि वर दे !

महाकवि निराला जी की वन्दना द्वारा कैलाश दुवे होशंगाबाद


वर दे, वीणावादिनि वर दे !
प्रिय स्वतंत्र-रव अमृत-मंत्र नव
        भारत में भर दे !


काट अंध-उर के बंधन-स्तर
बहा जननि, ज्योतिर्मय निर्झर;
कलुष-भेद-तम हर प्रकाश भर
        जगमग जग कर दे !


नव गति, नव लय, ताल-छंद नव
नवल कंठ, नव जलद-मन्द्ररव;
नव नभ के नव विहग-वृंद को
        नव पर, नव स्वर दे !


वर दे, वीणावादिनि वर दे।
*वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनाएं*


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511