सन्दीप सरस बिसवां सीतापुर गीत~मां अभ्यर्थन शारदे   लेखनी  में  समा  जाइए, 

सन्दीप सरस बिसवां सीतापुर


गीत~मां अभ्यर्थन


शारदे   लेखनी  में  समा  जाइए, 
मेरे गीतों की गरिमा संवर जाएगी।


प्रेरणा आप हो अर्चना  आप हो ,
मेरे मन से  जुड़ी भावना आप हो।


काव्य की सर्जना स्नेह है आपका,
मेरे हर शब्द  की साधना आप हो।


हाथ रख  दो मेरे  शीश पर स्नेह से,
काव्य प्रतिभा हमारी निखर जाएगी।1।


सारगर्भित  रहे  मुक्तकों  सा सदा ,
और जीवन बने सन्तुलित छंद सा।


पारदर्शी   रहे   गीत   की   भावना ,
नव सृजन का हो संकल्प निर्द्वन्द सा।


ज्ञान की वर्तिका प्रज्वलित कीजिए,
मेरे जीवन में आभा बिखर जाएगी ।2।


मेरी अनुभूतियों को गहन कीजिए,
भावनाओं को अभिव्यक्ति दे पाऊं माँ।


भाव   ऐसे   हृदय  में  जगा   दीजिए
कल्पना को सहज शक्ति  दे  पाऊं माँ।


लेखनी  को हमारी  मुखर  कीजिए,
शब्द  की  साधना भी सुधर जाएगी।


सन्दीप सरस


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