संजय जैन मुंबई आज फिर याद आये* विधा : गीत

संजय जैन मुंबई आज फिर याद आये*
विधा : गीत


मेरे दिल मे बसे हो तुम,
तो में कैसे तुम्हे भूले।
उदासी के दिनों की तुम,
मेरी हम दर्द थी तुम।
इसलिए तो तुम मुझे,
बहुत याद आते हो।
मगर अब तुम मुझे,
शायद भूल गए थे।।


आज फिर से तुम्ही ने,
निभा दी अपनी दोस्ती।
इतने वर्षों के बाद,
किया फिरसे तुम्ही याद।
में शुक्रगुजार हूँ प्रभु का,
जिन्होंने याद दिला दि तुमको।
की तुम्हारा कोई दोस्त,
आज फिर तकलीफ में है।।


में कैसे भूल जाऊं,
उन दिनों को में।
नया नया आया था,
तुम्हारे इस शहर में।
न कोई जान न पहचान,  
 थी तुम्हारे इस शहर में।
फिर भी तुमने मुझे, 
अपना बना लिया था।।


मुझे समझाया था कि,
दोस्ती कैसी होती है।
एक इंसान दूसरे का,
जब थाम लेता है हाथ।
और उसके दुखो को,
निस्वार्थ भावों से सदा।
करता है उन्हें जो दूर, 
वही सच्चा दोस्त होता है।। 


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
24/01/2020


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