संजय जैन (मुम्बई) अजनबी विधा: कविता ट्रेन में सफर के दौरान,

संजय जैन (मुम्बई)


अजनबी
विधा: कविता


ट्रेन में सफर के दौरान,
मिला था एक अजनबी।
फिर बातों ही बातों में, 
दोनों के दिल मिल गये।
लम्बा था सफर दोनों का, इसलिए एक दूसरे को,  
 अच्छे से समझ पाये।
और एक दूजे के 
दिलों में बसने लगे।
और अजनबियों के दिलों में,
प्यार के फूल खिल गये।।


अजनबियों का दिल मिलना,
बहुत बड़ी बात होती हैं।
और वो भी लड़का लड़की होना,  
बहुत बड़ी बात होती है।
फिर वार्तालाप से ही, 
प्यार अंकुरित हो गया। 
और दोस्ती का रिश्ता, 
मोहब्बत में बदल गया।
और फिर एक दिन दोनों ने,
एक दूजे को प्रोपोज कर दिया।।


कलयुग में भी सतयुग जैसा,
हमें देखने को मिला।
दिलों की भावनाओं का,
यहां मिलन हो गया।
इंसानियत भी दोनों की
जिंदा यहां रही।
ऐसी मोहब्बत का उदाहरण, 
लोगो को देखने को मिला।
आज वो अजनबी,
मेरा जीवन साथी है।
और उसकी के साथ,
जिंदगी जीये जा रहे है।।


जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
30/01/2010


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