संजय जैन (मुम्बई)
मत दो धोका प्यार में
विधा: कविता
मत खेलो किसी की,
भावनाओ से तुम।
वरना बहुत तुम भी,
आगे पषताओगे।
जब याद तुम्हें अपनी,
करनी की आएगी।
तब अफसोस जताने का,
समय भी तेरे पास नहीं होगा।।
माना कि प्यार भावनाओ,
पर ही टिका है।
इसमें दो दिल का मिलन,
दिल से होता है।
पर तुम तो इसे शायद,
एक खेल समझ रहे हो।
इसलिए तो लोगो के दिलो से,
खेलने की आदत हो गई तेरी।।
न जाने कितने मासूमो को,
तुमने लूट लिया।
प्यार की मीठी मीठी बातो
में फसा लिया।
लोगो धोका देना अब आदत बन गई तेरी ।
इस को तुम जैसों ने
वदनाम कर दिया।।
मत खेल तू इस आग से,
ये बहुत जुलनशील है।
तेरा भी घर इसी में,
एक दिन जल जाएगा।
फिर तू अकेली ताड़फेगी,
इस दुनियां में।
तब तेरा साथ देने को,
कोई भी नही आएगा।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
25/01/2020
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