संजय जैन (मुम्बई)
मेरी माँ मेरा आधार*
विधा : कविता
कितना मुझे हैरान,
परेशान किया लोगों।
पर मकसद में वो,
कामयाब हो नहीं पाये।
क्योंकि है माँ का आशीर्वाद,
जो मेरे सिर पर।
इसलिए तो बड़ी से बड़ी,
मुश्किलों से निकल जाता हूँ।।
धन दौलत से ज्यादा,
मुझे मेरी माँ प्रिये है।
तभी तो मैं भागता नहीं,
पैसों के लिए कभी।
पैसा और सौहरत हमें,
बहुत मिलती रहती है ।
क्योंकि मेरे साथ,
मेरी मां जो रहती है।।
पैसों की खातिर में अपनी,
मां को छोड़ सकता नहीं।
चाहे मुझे पैसा और सौहरत,
बिल्कुल भी न मिले।
पर मुझे पता है माँ से बढ़कर,
संसार में कुछ भी नहीं।
इसलिए तो मेरी माँ ही,
मेरे जीवन का आधार है।।
जय जिनेन्द्र देव की
संजय जैन (मुम्बई)
17/01/2020
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