शशि कुशवाहा लखनऊ,उत्तर प्रदेश

"मनवा डोल रहा"


फगुनवा की आयी है बहार
कि मनवा डोल रहा....
चारो ओर फैली रंगों की फुहार
कि मनवा डोल रहा ...


कान्हा दोनों हाथ भरे है गुलाल
रंगना है राधा को लालमलाल
राधा हुई शर्म से लाल 
कि मनवा डोल रहा ....


झूमे , नाचे ,गाये खुशियाँ मनाये
गोपियों संग कान्हा रास रचाये
व्रन्दावन में हुआ रे धमाल 
कि मनवा डोल रहा ....


बच्चे दौड़ दौड़ रंग बरसाए
उछल कूद घर सर पे उठाये
हुड़दंग, हँसी ठिठोली का त्यौहार
कि मनवा डोल रहा .....


साजन लगाये रंग सजनी के गाल
प्रीत के रंग से रंगी है ये शाम
नैनो में भरे मिलन के ख्वाब
कि मनवा डोल रहा.....


गिले शिकवे मिटा जाओ
प्रेम से सबको गले लगाओ
भर गया मन में नया उल्लास
कि मनवा डोल रहा ......


फगुनवा की आयी है बहार
कि मनवा डोल रहा....
चारो ओर फैली रंगों की फुहार
कि मनवा डोल रहा ...


शशि कुशवाहा
लखनऊ,उत्तर प्रदेश


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511