शिवानी मिश्रा प्रयागराज भविष्य(कविता)

शिवानी मिश्रा
प्रयागराज


भविष्य(कविता)


जब मैं आगे बढ़ने के लिये
कदम उठता,
क्यों,वह मुझे पीछे
खींच ले जाता है,
मैं स्थिर हो जाता हूँ,
आगे मेरा भविष्य खड़ा है,
पीछे मेरी यादें हैं,
किधर बढ़ाऊ कदम मैं अपने
दुविधा ये भारी है,
आगे है आग का दरिया
पीछे बचपन की यादें
कैसे छोड़ू साथ मैं इनका
आगे दुनियादारी है,
अगर समझना है सच को
तो आगे बढ़ना ही होगा,
छोड़ के अपने जज्बातो को
मैं निकल पड़ा हूँ, बढ़ने को,
हाथ बढ़ाओ और
मुझे थाम लो,मैं
विचलित प्राणी ठहरा।



शिवानी मिश्रा
प्रयागराज


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