शोभित सूर्य धौरहरा शारदे माता बुद्धि दाता विनती है इतनी ,

शोभित सूर्य धौरहरा


शारदे माता बुद्धि दाता विनती है इतनी ,
यह जीवन बीते आपके गुणगान में।


आप बसे रोम रोम धरा से  लेकर व्योम,
मैं सर्वस्व देख लूँ आपके प्रतिमान में ।।


बुद्धि औ विवेक रहे कामनाएं नेक रहें ,
घबराए नहीं देश हित बलिदान में।


भारत की हरे पीर तोड़ दे हर जंजीर ,
सुभाष जैसा वीर पैदा हो हिंदुस्तान में।।


शोभित सूर्य


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511