काव्यरंगोली हिंदी दिवस ऑनलाइन प्रतियोगिता 10 जनवरी 2020
नाम- सोनी केडिया
पता- सीताराम केडिया,
खालापारा,
शंकर मोर ,
सिलीगुड़ी 734005
पश्चिम बंगाल
विधा - कविता
दरवाजे
भिन्न-भिन्न प्रकार के...
नये, पूराने, छोटे, बड़े,चौड़े और संकरे
हल्के,भारी, सुंदर भी और कुछ सस्ते
और कामचलाऊ भी।
बड़े बड़े दरवाजों में शान से जाते है
पर छोटे दरवाजों से सर झुकाते जाते हम।
कुछ पूराने जर्जर दरवाज़े
जिन्होंने देखी है
कई सदियों की दास्तान..
पूरानी विचारधाराओं से झाकते..
और नयी विचारधाराओं की तरफ
छलांग लगाते हुए विचारों को।
फिर तटस्थ बैठें खुद के
नष्ट होने की प्रतिक्षा करते।
कई दरवाजों ने देखें होते हैं
नित्य नये किरदारों को
नये नये चेहरों के भीतर।
कुछ बंद दरवाज़े..
जिसमें सभी झांकना चाहते हैं।
कुछ खुलें दरवाजे..
जिसमें कोई नहीं झांकना चाहता।
कुछ अधखुले दरवाजे
जिसमें लोग अक्सर
नज़र मारते हुए
चलते जाते हैं।
नित्य नये परिवर्तन के साथ
स्वरूप भी बदल गया।
और विशालकाय मजबूत
दरवाजे तब्दील हो गये है
आसानी से खुलने-मिलने वाले
सस्ते दरवाजों में,
जहां कुछ निश्चित नहीं,
कोई विश्वास की बुनियाद नहीं।
पर बूढ़े दरवाजे अभी भी खड़े हैं
उसी शान से सर उठाए..
अपनी धरोहर को समेटे
अपनी संस्कृति कई शिल्पकलाओं
की झलक दिखलाते।
कई दरवाजे होते हैं
प्राचीन की मजबूती से लेकर
नवीनता का समावेश।
अब नवचेतना लिए आ रहे हैं।
ये भिन्न-भिन्न दरवाज़े..
हर जगह हमारे सामने आते,
हर जगह हमें रोकते,
हर जगह की पहचान,
न जाने कितना कुछ कह जाते हैं।
सोनी केडिया
स्वरचित
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