सूर्य नारायण शूर  । कर दो इतना उपकार प्रिये ।।


सूर्य नारायण शूर 


। कर दो इतना उपकार प्रिये ।।


          अभिवादन लो स्वीकार प्रिये ।
          है प्रेम का यह आधार प्रिये।
अभिवाद लो ।।।।1
          इस नये वर्ष की बेला में ।
          जीवन के तंग झमेला में ।
          कर दो इतना उपकार प्रिये ।।
अभिवाद लो ।।।।2
        उत्तर। दक्षिण  पूरब  पश्चिम ।
       तुम खुब बरसे मुझपर रिमझिम। 
       तन  मन  भीगा  इस बार प्रिये ।।
अभिवादन लो।।।।3
       तुम मिले हो जब से जीवन में ।
       तब से न निराशा   है मन में ।
       आशा का तुम हो द्वार प्रिये ।।
अभिवादन लो ।।।।


             सूर्य नारायण शूर 


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