मधु शंखधर 'स्वतंत्र'
प्रयागराज
मधु के मधुमय मुक्तक*
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◆मन में उठती भावना इक आस है।
इक सुखद अनुभूति का एहसास है।
राह एक सबको मिलाती है यहाँ,
उसको अपनाता महज विश्वास है।।
◆माँ ने जन्मा लाल को ये प्यार है।
ये सृजन की भावना का सार है।
एक बस विश्वास की डोरी बंधी,
ये ही अनुपम जीव का व्यवहार है।।
◆राह हो मुश्किल तो जीवन आस है।
आस में ही शक्ति का एक वास है।
जो बना दे जिन्दगी को चाह एक
मधु ये मानव का अटल विश्वास है।।
*मधु शंखधर 'स्वतंत्र'*
*प्रयागराज*
*17.01.2020*
🌹🌹सुप्रभातम्🌹🌹
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