सुमति श्रीवास्तव
जौनपुर
खो जाने दो
दिल कहता है कि जाने दो ,
अब ख्वाबों में खो जाने दो।
तुम प्रेम पुष्प बनकर मुझको ,
हृदय बाग में खिल जाने दो।।।
इन अधरों की मुस्कान में ,
हम बन करके हास जिये ।
इन नैनों के दर्पण में तुम ,
प्रतिबिम्ब तुम्हारा बन जाने दो।।
हो गर्म स्पर्श इन साँसों का ,
जब धड़कन अपनी चलती हो।
इन नयी हृदय तरंगो को ,
मेरे दिल में बस जाने दो ।।
हो श्रृंगार मेरा तुझसे पूरा ,
मुझमें तेरा ही रूप मिले ।
बस विनती है मेरे प्रियवर ,
मुझकों खुद में बस जाने दो।।
सुमति श्रीवास्तव
जौनपुर
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