सुनील कुमार गुप्ता
कविता:- "मीठे बोल"
"मिट सकती कटुता जीवन की,
साथी बोले जो-
मीठे बोल।
अपने भी हो जाते बेगाने,
साथी बोले जो-
विष घोल।
भूल हुई जो अपनो से,
क्षमा कर अपनाएं-
बोले मीठे बोल।
मधुरता छाती संबंधो में,
भक्ति संग-
साथी होती नव भोर।
मिट जाती पतझड़ की चुभन,
देखकर जीवन में-
साथी नव कोपल।
बन जाता स्वर्ग धरती पर,
साथी बोले जो-
मीठे बोल।
मिट सकती कटुता जीवन की,
साथी बोले जो -
मीठे बोल
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