सुनील कुमार गुप्ता
कविता:-
*"सुख-दु:ख"*
"साथी दु:खी नहीं मानव,
अपने दु:ख से-
इस जीवन में।
देख कर सुख अपनो के,
साथी सुखानुभूति भी-
बदल जाती दु:ख में।
त्यागमय होता जीवन जो,
द्बेष न होता-
साथी मन में।
देखकर सुख अपनो के,
व्यथित न होता-
साथी जीवन में।
सद्कर्मो संग जीवन पथ पर,
मिल जाये जो-
साथी जीवन में।
संतोष कर भोगे सुख,
साथी अपनो संग-
पल पल जीवन में।
साथी दु:खी नहीं मानव,
अपने दु:ख से-
इस जीवन में।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःः
25-01-2020
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