कविता:-
*"ठहर कर कुछ पल"*
"ठहर कर कुछ पल जीवन में,
साथी सोचते-
इस जीवन में।
मैं-ही-मैं संग यहाँ साथी,
कितना-मिलेगा संग-
इस जीवन में।
छोड़ कर मैं कुछ पल को,
चलते संग जो साथी-
इस जीवन में।
पा लेते अपनत्व का सुख,
अपनो से-
इस जीवन में।
महक उठती जीवन- बगिया,
गुनगुनाते गीत खुशी के-
इस जीवन में।
त्याग कर सुख अपना कुछ पल,
देते सुख अपनो को-
इस जीवन में।
ठहर कर कुछ पल जीवन में,
साथी सोचते-
इस जीवन मे।।"
ःःःःःःःःःःःःःःःःःःःः सुनील कुमार गुप्ता
sunilgupta.abliq.in
ःःःःःःःःःःःःःःःःः 27-01-2020
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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