सुनीला गुरुग्राम हरियाणा बसंत कविता

*प्यारी ऋतू बसंती*
प्यारी ऋतु बसंती आई है|
चँहु ओर ही रौनक लाई  है।
    गई कडाके की अब सर्दी |
     शीतल शीतल ठंड सुहाई है |
हुआ नही गरमी का आगम |
मंद मंद धूप मुस्काई है |
     पतझड के सूखे वृक्षों पर |
 नई नई हरी कोपलें आई हैं ।
लहक रही है सरसों रानी |
पीले पीले फूलों पे मस्ती छाई है |
   गेहुओं मे निकली नई बालियां |
     हरी हरी फसल लहलहाई है |
रंग बिरंगे फूलों से सजकर |
सुन्दर सुन्दर धरा इतराई है |
     प्यारी ऋतु बसंती आई है|
     चँहु ओर ही रौनक लाई है | 
                                       सुनीला
गुरुग्राम हरियाणा
9671461351


कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...