सुनीता असीम आगरा आप हमको प्यार में बस आजमाना छोड़ दें

सुनीता असीम आगरा


आप हमको प्यार में बस आजमाना छोड़ दें।


साथ देके कुछ हमारा यूँ जताना छोड़ दें।


***


कर दिया हमको बड़ा माँ-बाप ने जैसे किया।


कर्ज उनका क्या बड़े होकर चुकाना छोड़ दें।


***


जिन्दगी में साथ अपने कुछ बुरा जो हो गया।


तो खुदा के सामने सर को झुकाना छोड़ दें।


***


दीन दुखियों को सताना और उनको मारना।


पाप ऐसे कर्म से हम अब कमाना छोड़ दें।


***


प्यार देती है हमें ममता लुटाती है सदा।


प्रेम की मूरत रही माँ को रूलाना छोड़ दें।


***


सुनीता असीम


१८/१/२०२०


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