मुक्तक
शनिवार
२५/१/२०२०
श्वान कितने पीछे पड़े हैं हाथी अपनी जगह अड़ा है।
कोशिश करते उसे हिलादें वो तो अपनी जगह खड़ा है।
नहीं किसी की परवाह उसको अपना मान है रखता-
जानता है छोटे उससे सारेऔर वो उन सबसे बड़ा है।
***
सुनीता असीम
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
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