सुनीता असीम आगरा मुक्तक

मुक्तक
शनिवार
२५/१/२०२०
श्वान कितने पीछे पड़े हैं हाथी अपनी जगह अड़ा है।
कोशिश करते उसे हिलादें वो तो अपनी जगह खड़ा है।
नहीं किसी की परवाह उसको अपना मान है रखता-
जानता है छोटे उससे सारेऔर  वो उन सबसे बड़ा है।
***
सुनीता असीम


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