सुनीता असीम
गजल
आपसे हमको जुदा कौन किया करता है।
वो बुरा हमको बड़ा सिर्फ लगा करता है।
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छोड़कर सारे बुराई को बनें सच्चे से।
बस इसी बात में अपना मन रमा करता है।
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साथ हम सबके रहें साथ हमारे सब हों।
साथ में सबके सही रंग जमा करता है।
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आदमी वो ही सही काम जो आए सबके।
पुण्य उसको ही मिले सबपे दया करता है।
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जानता हो जो वफा प्यार करेगा वो ही।
क्या मुहब्बत वो करेगा जो जफा करता है।
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सुनीता असीम
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