सुनीता असीम
गीतिका
है हसीनों में यहाँ मान बहुत।
प्यार से वो तो हैं अनजान बहुत।
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जिन्दगी जिनको मुसीबत ही लगे।
मैं कहूँ उनको है आसान बहुत।
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झूठ में जीते रहे जीवन को।
पर रहें इसके भी नुकसान बहुत।
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दायरा सच का बढ़ाऊँ कैसे।
मुझको लगता ये न आसान बहुत।
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गर दिखाएँ वो बड़ा मान हमें।
छोड़ दो उनको हैं धनवान बहुत।
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सुनीता असीम
२१/१/२०२०
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