विचार प्यारा ये हमने भी पाल रक्खा है।
सदा हि दिल में खुदा का जमाल रक्खा है।
***
हवा के जोर से हिलता हुआ तेरा आँचल।
के दिल हमारा उसीने उछाल रक्खा है।
***
दिया नहीं है दिखाई मुझे तेरा चहरा।
हिजाब कैसा भला तूने डाल रक्खा है।
***
ली बादलों ने हवाओं से आज अंगड़ाई।
कि धड़कनों ने मेरी ए'तिदाल रक्खा है।(संतुलन)
***
तेरी अदा ने मुझे कर दिया बड़ा घायल।
उदास रात ने जीना मुहाल रक्खा है।
***
सुनीता असीम
२८/१/२०२०
"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।
सुनीता असीम विचार प्यारा ये हमने भी पाल रक्खा है।
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