विचार प्यारा ये हमने भी पाल रक्खा है।
सदा हि दिल में खुदा का जमाल रक्खा है।
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हवा के जोर से हिलता हुआ तेरा आँचल।
के दिल हमारा उसीने उछाल रक्खा है।
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दिया नहीं है दिखाई मुझे तेरा चहरा।
हिजाब कैसा भला तूने डाल रक्खा है।
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ली बादलों ने हवाओं से आज अंगड़ाई।
कि धड़कनों ने मेरी ए'तिदाल रक्खा है।(संतुलन)
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तेरी अदा ने मुझे कर दिया बड़ा घायल।
उदास रात ने जीना मुहाल रक्खा है।
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सुनीता असीम
२८/१/२०२०
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