वीरभोग्या वसुंधरा प्रखर दीक्षित
जय भारत माता तुमहिं नमन, नभ कीर्ति छुए शत शत वंदन।
जयघोष राष्ट्र को प्राण तत्व आंचर पावन माटी चंदन।।
अक्षुण्ण रक्षित अहर्निश सीमा, चहुँओर निगेहबानी चौकस।
हिमराज किरीट भाल ऱाजै, सुषमा मोहै मनुआ बरबस।।
नित सागर चरन पखारत माँ, जन जन पौरुष को शुभ अर्चन।।
*नभ कीर्ति छुए शत......*
जहि वीरभोग्या वसुंधरा, कण कण पौरुष रग रग साहस।
बलिदान करे कृतकत्य भए, न्योंछावर कीन्ह आप्त सरबस।।
घूँघट कै आंसूँ अटल शक्ति, प्रण पूर्ण करे हिल अभिनंदन।।
*नभ कीर्ति छुए शत......*
पुनि जगत गुरू भारत बनि कै, उजियार करै उत्कर्ष रहे।
धन धान्य फलै मन चित् मिलै, सदभाव की पावन गंग बहे।।
अरि कांप उठै हुंकार जबै, विद्वेष मनस मँह भय क्रंदन।।
*नभ कीर्ति छुए शत......*
*प्रखर दीक्षित*
*फर्रुखाबाद*
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