विजय कल्याणी तिवारी
बिलासपुर छग अभिव्यक्ति
मत मुझको लेकर आह भरो
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मैंने तुमसे कभी कहा क्या
तुम मेरी परवाह करो
मुझे दया मय भाव न देना
मत मुझको लेकर आह भरो।
बाधाओं से लड़ना भिड़ना
सहज वृत्ति से ही सीखा है
क्रूर प्रहार समय का
चाहे कितना भी तीखा है
अनुनय विनय नही करना
अनुचित बातों पर
देखूं कितना शक्ति समाहित
कुटिल काल के आघातों पर
निज प्रवृति पर कायम रह
केवल केवल दाह करो
मैने तुमसे कभी कहा क्या
तुम मेरी परवाह करो ।
भ्रम भय से मै मुक्त
सतत् ही सजग रहा हूं
पथ के पत्थर तोड़
निरंतर अग्र बहा हूं
सींचा हूं बंजर धरती
उसे उर्वरा बनाया
कभी नही सोचा बदले मे
क्या क्या पाया
गह सकते तो निश्छल
मन से बांह गहो
मैने तुमसे कभी कहा क्या
तुम मेरी परवाह करो ।
विजय कल्याणी तिवारी
बिलासपुर छग अभिव्यक्ति-686
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