विष्णु असावा
बिल्सी ( बदायूँ
घनाक्षरी छन्द
शारदे नमन तुम्हें बार बार बार बार
बार बार चरणों में बलिहारी जाऊँ माँ
है बसंत पंचमी की शुभ तिथि शुभ दिन
ऐसे शुभ अबसर शीश को झुकाऊँ माँ
सभा बीच लाज मेरी रख लेना मेरी अम्ब
पड़े जो मुसीबत तो तेरा प्यार पाऊँ माँ
कंठ में बिराजो स्वर साधना आकंठ करो
सजा थाल पूजन का तुझको मनाऊँ माँ
बसंत पंचमी की इन्हीं शुभकामनांओं सहित आपका अपना
विष्णु असावा
बिल्सी ( बदायूँ )
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें