*मेधा होये अति प्रखर,जीवन भी स्वछंद।*
*सारी धरती पर उड़े ज्ञान भरा मकरंद।।*
*पैंतीस चालिस साल क्या जीवन का आनंद।*
*बच्चे बूढ़े सब बने विले विवेकानन्द।।*
जीवन कितना लम्बा जिया यह बड़ी बात नही बड़ी बात है ,कि जीवन कैसा जिया। 105 वर्षीय भोजन शौच वाले व्यर्थ जीवन से 35 वर्षीय स्वामी विवेकानन्द जी जैसा जीवन जीना मुझको अधिक पसंद होगा।
आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950
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