युवा दिलो की धड़कन नवल सुधांशु श्रंगार कवि
लखीमपुर खीरी
रात का है पक्ष भारी उल्लुओं के गांव में।
सूर्य जब धुंधला दिखा
नाखून सन्ध्या पर गड़ाए
चन्द्रमा के हर ग्रहण पर
इन्होंने उत्सव मनाए
किन्तु फिर भी अमावस ने ला दबोचा दांव में।
रात का है पक्ष भारी उल्लुओं के गांव में।
नयन पर पट्टी बंधाये
जुगनुओं की चाल ढूंढें
रात कुछ तोते प्रवक्ता
उल्लुओं की डाल ढूंढें
कोयलों का स्वर मिला है काग की हर कांव में।
रात का है पक्ष भारी उल्लुओं के गांव में।
बिना देखे एक कौवा
कर रहा था मन्त्रणा
अप्रकाशित क्षेत्र को थी
काटने की योजना
देख पहली किरण भागे भूत बांधे पांव में।
रात का है पक्ष भारी उल्लुओं के गांव में।
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