अंकिता सिन्हा युवा कवयत्री जमशेदपुर झारखण्ड
सालों बाद बैचेन रूहों
का इंसाफ हुआ है
कांपते,बदन से निकली
पीडा़ को मलहम मिला हैं।
दुष्कर्मियो दरिंदों को मौत ने निकला है कुतरी नन्ही तितलियों की
पंखुड़ियों को अब राहत
की सांस मिली है,
हाँ सालों बाद इंसाफ मिला हैं
दुष्कर्म कर जिंदा जलाया
अंग घायल किए हैं
,खरोचों ने रंग दिखाले
प्रियंका निर्भया अब
और कोई ना आए
आबरू बाँजारो मे न लुटे
कुंठा भरी सांसों में भय ना समाए
जूल्मों के नाखून काटे गए हैं
वैहसी दोषियों को अब
फांसी सुनाये गये हैं
वो लम्हा दर्दो के दीवारें होगे
नारी शक्ति घुटती
खुद को बचाती होगी
जीवन की सपनों में बेरंगी हो गई
बादलों की कड़ी धूप की
तरह मानवता शर्मसार
शर्मिंदा जलने सी लगी
बदनों पर खंडितखंरोच के निशान मिलेंगे
यहां दफन जलाते हुए
नारियों के सम्मान मिलेंगे
मर्यादा को शर्मसार करती
वो पहचान मिलेंगे
खत्म हो गई चार दरिंदों की सासें
पर सियासत, सियासी, सियार ,सेंकते अपनी रोटियां सरकार मिलेगें
हाथों में लेकर इंसाफ का
कटोरा एक मां मांग रही थी
वर्षों से सहारा
सख्त कानून सत्य संविधान
बरसों बीते अब थोड़ा
थमा आंसुओं का सैलाब किनारा हैं
हाँ सालों बाद इंसाफ मिला हैं
व़जू़द पर भारी पड़ा
धैर्य शक्ति की
वरना चीखें भी मलिन
हो गई निभ्रया बगियाँ की
विलंब करती रही फैसले मे
रुप सही स्वीकार सरकार की
किस्से फैंली सनसनी
हरतरफ इंसाफ की
सालों साल लगे राहत मिलने
को निर्भया अत्याचार की
कहती गुल, बाँबुल से
अगले जन्म बिटिया ना बनूँ मैं
यह आती दुआ ,मां की कोख की
जन्नत सा कोई घर नहीं यहां
ऐसे दरिंदों की
भीड़ चाल है संसार की
अब तो कोई अपनों से
डरतीं चुलबुल फूल हमारे
कैसी मानवता का चरित्र निखर आया हैं
सालों बाद रूहों का इंसाफ हुआ है
युवाकवयित्री अंकिता सिन्हा
जमेशदपुर झारखंड
8935847026
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