125 साल पुरानी मैलानी नानपारा रेलवे ट्रैक हमेशा के लिए बन्द

आज सुबह आठ बजे मैलानी से नानपारा जाने बाली ट्रेन 55058 के 55 रेल यात्रियों के साथ आखरी बार रवाना होते ही इतिहास वन गयी 127 वर्ष पुरानी मैलानी बहराइच  मीटर गेज रेल सेवा
    और इसी के साथ आज से बढ़ गया मैलानी ,भीरा,पलिया,  दुधवा नेशनल पार्क के अंदर भारत नेपाल सीमा पर बसे लगभग चौवालीस थारु जनजातीय गांवों के लगभग साठ हजार नागरिकों की मुसीबतें जिनके शेष भारत व जिला मुख्यालय आने जाने का एक सस्ता सुलभ साधन थी यह मीटर गेज रेल सेवा और दुधवा रेलवे स्टेशन व बेलरायां , तिकोनिया ,खरैटिया के उन छात्रों छात्राओं की भी मुश्किलें अब आरम्भ हो गयी जो इन ट्रेनों के जरिए रोज अपने घर से पलिया के स्कूल कालेजों में पढ़ने जाते थे अब उनका दस रुपये और डेढ़ घंटे बाला सफर सौ रुपये और तीन घंटे में बदल गया 
काफी बड़ी संख्या में अब शायद छात्र बोर्ड की परीक्षाएं भी न दे पाये शारदा, कौड़ियाला, मुहाना नदी की बाढ़ और कटान जैसी आपदाओं के मारे गरीबों के बच्चों की पढ़ाई को भी लग सकता है बिराम इस सेवा के बंद होने से पांच लाख लोगों पर पड़ेगा  सीधा असर
बताते चलें भारत नेपाल सीमा के करीब से होकर गुजरने बाली मीटर गेज रेल लाइन का बिस्तार तत्तकालीन ब्रिटिश हुकूमत द्वारा 1880 में रुहेल खंड व कुमायूं रेलवे कंपनी ने प्रारम्भ किया था और सबसे पहले बरेली काठगोदाम पीलीभीत को मीटर गेज रेल से जोड़ा 
इसके बाद 1891 में पीलीभीत मैलानी तक बिस्तार किया गया 1अप्रेल 1891 को मैलानी में पहली बार एक इंजन के साथ दो सफारी बोगियों की ट्रेन स्टेशन पर आयी 
फिर मैलानी भीरा ,पलिया, दुधवा के रास्ते सोनारी पुर 
तक रेल लाइन बनाई गयी और मैलानी स्टेशन से 18 अगस्त 1894 को पहली ट्रेन जो कि मालगाड़ी के लकड़ी लादने वाले पांच ट्रालो के साथ पहुंची थी 
सोनारीपुर स्टेशन पर ,लेकिन वह सोनारी पुर स्टेशन भी अब कयी वर्षों पूर्व  समाप्त किया जा चुका है
फिर दुधवा से चंदन चौकी के लिये 1903 में ट्रेन चलने लगी इसके बाद गौरीफंटा बार्डर तक ट्रेन चलने लगीं थीं पर आज से कुछ वर्षो पूर्व यह सब स्टेशन बंद किये जा चुके हैं  
वन उपज के दोहन व अंग्रेज अधिकारियों के शिकार मनोरंजन  के लिये अंग्रेजी सरकार द्वारा शुरु की गयी 127 वर्ष पुरानी मीटर गेज सेवा को आज 15 फरबरी 2020 को  वनों व वन्य जीवों की सुरक्षा के नाम पर कोर्ट के आदेश पर  बंद किये जाने के साथ ही इतिहास वन कर दर्ज हो गयी


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