भरत नायक'बाबूजी' लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)

*" हे शिव! "* (वर्गीकृत दोहे)
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*भोले के दरबार में, अजब-अनोखे रंग।
भूत-प्रेत कौतुक करें, भाँति-भाँति के ढंग।।१।।
(१६गुरु,१६लघु वर्ण,करभ दोहा)


*भोले भभूत-भूतिया, गले ब्याल की माल।
द्वादश-ज्योतिर्लिंग हैं, कालों के भी काल।।२।।
(१९गुरु,१०लघु वर्ण, श्येन दोहा)


*शिव-शंकर के शीश से, बहती सुरसरि-धार।
 शोभित अर्धमयंक है, नंदी करें सवार।।३।।
(१४गुरु,२०लघु वर्ण, हंस/मराल दोहा)


*शिव ही सत्य स्वरूप हैं, शिव ही अटल-अशेष।
देवों के ये देव हैं, भोलेनाथ-महेश।।४।।
(१६गुरु,१६लघु वर्ण, करभ दोहा)


*अविनाशी-ओंकार हैं, शंभू आरत-त्राण।
भोले-भंडारी सदा, करते हैं कल्याण।।५।।
(१९गुरु,१०लघु वर्ण, श्येन दोहा)


*लीला भोलेनाथ की, न्यारी ललित-ललाम।
महिमा-अपरंपार है, भूतनाथ-निष्काम।।६।।
(१७गुरु,१४लघु वर्ण, मर्कट दोहा)


*हलक-हलाहल पान कर, किया लोक-उद्धार।
होती जिन पर शिव-कृपा, उनका बेड़ा पार।।७।।
(१३गुरु,२२लघु वर्ण, गयंद/मृदुकल दोहा)


*अंतर्मन से जो करे, निर्विकार शिव-ध्यान।
शिव अनुकम्पा हो जहाँ, वहाँ शिवालय-भान।।८।।
(१५गुरु,१८लघु वर्ण, नर दोहा)


*शांत-ताल के हंस की, महिमा-अपरंपार।
हे शिव! प्रणाम आपको, करिए नैया पार।।९।।
(१६गुरु,१६लघु वर्ण, करभ दोहा)


*स्वामी तीनों लोक के, हर-योगेश-उमेश।
बम भोले कामारि हैं, विश्वनाथ-परमेश।।१०।।
(१७गुरु,१४लघु वर्ण, मर्कट दोहा)


*कनक, बेल-पाती, सुमन, लिये भाव का हार।
चरण-शरण हम आपके, करिए जग-उद्धार।।११।।
(१२गुरु,२४लघु वर्ण, पयोधर दोहा)
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भरत नायक'बाबूजी'
लोहरसिंह, रायगढ़(छ.ग.)
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