*विविध मुक्तक।।।।।।।।।।।।*
आया बसंत
सज धज कर के
ठंड का अंत
चली है हवा
चहुं ओर महक
रही चहक
कैसा संसार
पुण्य का फल यहाँ
होता बेकार
प्यार हो कैसा
साबित नहीं होता
ये बिन पैसा
ये तक़दीर
बदल सकती है
यह लकीर
प्रेम व स्नेह
अनमोल तोहफा
आत्मीय नेह
खून रवानी
पहचान जोश की
यह जवानी
*रचयिता।।एस के कपूर*
*श्री हंस।।।।।।।बरेली।।*
मो 9897071046।।।
8218685464।।।।।।
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