अभिलाषा देशपांडे लघुकथा

घाव 
    एकबार  मथुरा में  दो अजनबी एक दुसरे से फेसबुकपर मिले और देखते देखते जान पहचान बढी! एक दुसरे से रोजाना बाते करना और मिलनेका सिलसिला शुरु हो गया! 
     महक राजन पर अंधविश्वास करती थी! राजन भी उसको हर बात बताने लगा! ऐसेही एक दिन वे दोनो मिले और उनमें एक अनचाही बात होती हैं!
      उसके बाद राजन का फोन बंद  आता हैं! महक उसको मँसेज करती हैं, पर वे उसका रिप्लाय नहीं देता हैं! 
      ईधर  महक की जीवन में तुफान आता हैं! वो प्रेगनंट हो जाती हैं! उसके माता पिता को कुछ समझनहीं आता की क्या करे? मा पिता उसे पुछताछ करते हैं , वे कुछ बता नहीं पाती हैं! क्योकि राजन ने अपना नंबर बदल दिया होता हैं! 
महक अपना ख्याल नहीं रख पाती हैं , और.अपने बच्चे को खो देती हैं! 
इस घटना से उसके दिमागपर असर होता हैं! उसके माता- पिता उसे इलाज के म्हैसुर  शहर ले जाते हैं! वहा मोहन नामका डाँक्टर उसका इलाज करता हैं!  
मोहन को वो अच्छी लगने लागती हैं! 
     मोहन की भी बिवी की मौत हुई होती हैं!  महकके हालत सुधरने लगती हैं, और मोहन उसे प्यार करने लगता हैं! मोहन महक के माता- पितासे महक का हात माँगता हैं! उसके माता- पिता हामी भर देते हैं! महक भी उसे चाहने लगती हैं , लेकिन उसके साथ जो  हो चुका होता हैं उससे वे सांशक होती हैं! वे अपनी बात सबके सामने रखती हैं! मोहन उसके हर सवाल का  जवाब देता हैं, और वे शादी के लिये हामी भर देती हैं! 
     दोनो को एक दुसरेमें दोस्त मिल जाता हैं, जो हर हाल में साथ दे सकता हैं! 
      तो दोस्तो इस कहानी से मैंने लोगोकी नियत और सच्चे प्यारको पहचाननेकी  नजर यह दिखानेकी कोशिश की हैं!©®
अभिलाषा.देशपांडे 


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