अनन्तराम चौबे    ग्वारीघाट जबलपुर

मिलना बिछड़ना
     
रखा था अभी तक 
छुपाये कहां पर 
ये मासूम चेहरा जो 
दिखाया यहां पर
गुलाबी ये गालो की
नागिन से बालो की
ये माथे की बिदिंया
ये कानो की बाली
मासूम से चेहरे पर
निखरी ये लाली
उठती हैं जब भी
ये पलके तुम्हारी
मिलती हैं नजरे
हमारी तुम्हारी
उठाकर झुकाना
नजरे मिलाने का
अच्छा बहाना
उठाने छुपाने में
क्या क्या कह देना
जुवा जो न कह पाये
निगाहो से कहना
ऐसे ही प्यार का
इजहार करना
दिल जो न कह पाये
निगाहों में कहना
आपस में दोनो के
परिचय हुये तो
प्यार से उन्होने
लड्डू भी खिलाये
प्यार की दो मीठी
बाते भी सुनाये ।
दिल में यो दोनो ने
ऐसा डाका डाला
चेहरा वो दोनो का
था भोला भाला ।
सोचा था सो जाऊ
बर्थ पाकर खाली
कैसा वो पल था
जो नजरे  मिला ली ।
उड़ी निदिंया मेरी
जो उठी पलके तेरी
पलके उठाना
पलकें झुकाना
तिरछी निगाहो से
क्या क्या कह देना
मायूस था यो में 
सफर के ही पहले
मुरझाया चेहरा था
मिलने से पहले 
खिल उठा मन
मचल उठा तन
एक हुआ जैसे
दोनो का मन ।
मचलते ये मन को
कब तक और कैसे
नजर को उठाऊँ
या पलके झुकाऊँ
मन ही मन में
कैसे सरमाऊँ ।
बाते जब करती हो
किसी और से भी
मगर दिल धडकता है
करीब मेरे आकर
किसी के करीब होकर
दिल मुझसे मिलाया
जो कि मुझसे बातें
फिर भी तड़फाया ।
पैरो से सिर तक
लगता है लिख दूँ
तारीफो के हर पल
रंगो से भर दूँ
निगाहो ने मिलने से
बहुत कुछ कहा है
शरमो हया का भी
परदा हटा है ।
बातें अभी कुछ
थोडी सी हो जाये
जन्मो जनम की
मुलाकातें हो जाये
जानी पहचानी सी
ये लगती है सूरत
लिखूं और लिखता
ही जाऊँ  बहुत कुछ ।
हमारे इस मिलन को
न भूलेगे कभी हम
कुछ ही समय में
जब बिछड़ जायेगे हम ।
हम दोनो को सफर
में जाना अलग है
बातों ही बातों में
निश्चय हुआ है ।
आखिर यो हमने
दिल क्यो लगाया ।
नजरे मिलाकर
दिल को तड़फाया
तड़फते रहेगें अब
ये दो दिल हमारे ।
बिछड़ना ही था तो
क्यो  मिले दिल हमारे ।
मिलन की ये यादें
न भूलेगे कभी हम
मिलन और जुदाई से
तड़फेगे अब हम
मिलना विछड़ना
यही जिन्दगी है 
मुद्दत से अच्छी
ये दो पल की खुशी है ।
    
   अनन्तराम चौबे
   ग्वारीघाट जबलपुर
      2376/
   मो.9770499027
KAVITA 11TH FEB KE INDORESAMACHAR ME CHAPEGI
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