*""""""'''शिवरात्रि""""""""*
पंचभूत को मिला इसी दिन
सृष्टि का निर्माण किया।
विराट रूप लिया यहाँ फिर
अग्निलिंग अवतार लिया।
अमर तत्व की चाह में जब
समुद्र का मंथन किया।
सर्व प्रथम कालकूट विष तब,
जलधि से बाहर निकला।
कालकूट विष के कारण जब
पूरा ब्रह्माण्ड आकुल हुआ।
पिया हलाहल विश्वहित के लिए,
नीलकंठ तब नाम हुआ।
शिव भक्तों ने फिर पूरी रात्रि में,
शिव के साथ जागरण किया।
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी का दिन,
शिवरात्रि नाम से प्रसिद्ध हुआ।
इसी दिवस पर शिव ने एक दिन,
माँ पार्वती से विवाह किया।
इस जगत की रचना में फिर
अर्धनरेश्वर अवतार लिया।
महाशिवरात्रि का पर्व ये पवन,
करें हम शिव की आराधना।
शिव की भक्ति करता जो मन से,
उसको वांछित वरदान मिला।
शिव होने की भी इस जग में
है बहुत ही कठिन राह।
विश्व कल्याण के लिए जिसने,
हलाहल का पान कर लिया।
©®
अंजना कण्डवाल 'नैना'
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें