लाखों दिवाने हमने देखे,
जो कहते है मरते है।
गर न मिला वो चेहरा,
फिर क्यूँ उसे जला देते है।
क्या ऐसा ही प्यार होता है......................
उसकी भी कुछ ख्वाहिश होगी,
जो तेरी ख्वाहिश है।
वो मोहब्बत ही क्या,
जिसमें सिर्फ अपनी खुशी सम्मिलित हो।
क्या ऐसा ही प्यार होता है......................
मोहब्बत वो इबादत है,
जो महबूब को खुदा बना देता है।
वो समझेगें क्या लोग,
जिनका शौखियत पेशा है।।
क्या ऐसा ही प्यार होता है ......................
जिसके तूने सपने देखे,
आंखों ने जिसे संजोया।
हाल यूं उसका करते,
क्या तेरा दिल न रोया।।
क्या ऐसा ही प्यार होता है.........................
"मेरी किस्मत ये खुदा तूने किस कलम से लिख दी।
तूने मेरी मासूमियत को मायूसियत लिख दी।। "
............ ATUL MISHRA..................
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