एक अवधी गीत का एक बंध
पूरा गीत आपकी प्रतिक्रियाओं के बाद
हमैं तुमरे बिना सइयां न भवाइ फगुनवा।
हमरो जियरा जरावइ यह वैरिन पवनवा।
यह मस्ती मा घूमइ औरु घुँघटा उठावइ।
हमका दरपनु न भावति हइ सुनो अंगनवा।
हमैं तुमरे बिना सइयां न भवाइ फगुनवा।
अवनीश त्रिवेदी "अभय"
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