अवनीश त्रिवेदी "अभय"

एक नया मुक्तक


सफर  कटता  नही  हैं  मंजिलें  भी रास ना आती।
हमें मिलता नही अब चैन जब तक पास ना आती।
कई मसलों पर फ़क़त वो रुठी हमसे अभी तक है।
मग़र  देखे बिना उनको नज़र की  प्यास ना जाती।


अवनीश त्रिवेदी "अभय"


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