अवनीश त्रिवेदी "अभय"

एक नया मुक्तक 


अमलतास से नयन  तुम्हारे  होंठ  फूलों  की शबनम हैं। 
तन कपास है, मन पावन है, ये रूप महकता गुलशन हैं।
केश राशि ऐसे  लगती  हैं  जैसे  घटाएं  सावन  की  हो।
बहुत स्वच्छ तस्वीर  तुम्हारी  रूप  स्वयं  ही  दरपन  हैं।


अवनीश त्रिवेदी "अभय"


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